वो जब १४ साल कि थी तब आईएसआईएस के हैवानो  ने उसे अगवा कर लिया. और छह महीने क्रूरता से   ख़ुद को जिहादी बताने  वाले एक हैवान ने हर रोज़ उसका रेप किया. 

                                                छवि thesun.co.ukसे साभार
इतनी बर्बरता इतनी क्रूरता के साथ किसी के  अस्मत के साथ खेलने वाले को जेहादी नहीं हैवान  कहना ही सही है. 
२०१४ में आईएसआईएस के जिहादियों ने एख़लास को  इराक से हज़ारों यजीदी औरतों के साथ अगवा किया था. वो बताती है- ,

    ‘मेरी ज़िंदगी भी खूबसूरत थी, मै अपने परिवार के साथ खुश  थी लेकिन उस रोज  उन घंटों ने मेरी ज़िंदगी बदल दी. वो अपने काले झंडों के साथ आए. उन्होंने हमारे आदमियों को मार डाला और लड़कियों का रेप किया. उन्होंने मेरे पिता को मेरी आंखों के सामने मारा. मैंने उनके हाथों में ख़ून देखा. मैं सिर्फ रोने की आवाज़ और चीख सुन पा रही थी. हर शख़्स चिल्ला रहा था.’

 
एख़लास ने बताया कि उसने एक 40 साल के आदमी को 10 साल की लड़की को ले जाते देखा. लड़की चिल्ला रही थी. वो चीख कभी भुलायी नहीं जा सकती. एख़लास को बाकी 150 लड़कियों की तरह सेक्स दासी बनाने के लिए चुना गया था. वहां वो 6 महीने तक रही.

उसने आगे  बताया,
    ‘वो बहुत बदसूरत था. हैवान  की तरह. उसके लम्बे बाल थे. उससे बदबू आ रही थी. मुझे उसे देखकर डर लग रहा था. 6 महीने तक रोज़ उसने मेरा रेप किया. मैंने ख़ुद को मारने की कोशिश की. मैं ये सब बताते हुए रो नहीं रही हूं. मेरे आंसू सूख गए हैं.’



डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एक दिन एख़लास  ने हिम्मत दिखाई. वो वहां से भाग निकली कि अगर पकड़ी गयी तो कम कम मौत तो मिल जाएगी . वो बताती  है कि उसकी मुस्कराहट ही उसका हथियार था. वो वहां से भागकर रिफ्यूज़ी कैंप पहुंच गई. वहां वो अमेरिका की वकील जैकलीन इजैक से मिली और तीन महीने बाद जर्मनी में रहने लगी.
जैकलीन कहती हैं,

    ‘जब मैं उससे पहली बार मिली तो वह बहुत डरी हुई थी , उसका सिर झुका था. वहां हर किसी का सिर झुका था. शुरुआत में किसी से आंखें नहीं मिल रही थी.’

इनदिनों  एख़लास मनोवैज्ञानिक अस्पताल में अपने ट्रॉमा से निकलने के लिए थेरेपी ले रही है. वो आगे वकील बनना चाहती है. वो बताती है,

    ‘आपको लग सकता है कि मैं किसी पत्थर की तरह मज़बूत हूं लेकिन मैं बताना चाहती हूं कि अंदर से मैं जख़्मी हूं. मै इन ६ महीनो में १०० मौतें मरी हूँ,  मेरा अपना दर्द 100 मौतों के बराबर है.’
2014 में जिहादियों ने माउंट सिंजर में लगभग 10,000 यजीदियों को मारा और अगवा किया था. इनमें से 30 फीसदी को गोलियों का निशाना बनाया या ज़िंदा जला दिया. इराक की 50 फीसदी जनता आईएसआईएस के अत्याचारों का शिकार है. इनमें औरतों और छोटी-छोटी लड़कियों के साथ जो होता है उसकी सच्चाई जानकर  रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

एखलाख जैसी लड़कियों कि वेदना और तकलीफ का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. भला हम उस दर्द कि कल्पना कैसे कर सकते है जो एखलाख ने ६ महीने तक लगातार रेप के रूप में सही हो. उसका दर्द , उसकी सिसक और घुटन.... घिन्न आती है ये सोंचकर कि आखिर कोई इंसान कैसे इतना क्रूर हो सकता है. ऐसे हैवान को तो इंसान कहने में भी शर्म आती है |   

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