पनामा लीक: जानिए पूरी दुनिया में कैसे काला धन छुपाया जाता है.
पूरी दुनिया में गोपनीयता से काम करने के लिए जाने जाने वाली पनामा की कंपनी मोसाक फोंसेका के लाखों कागजात लीक हो गए हैं. इनसे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के एक क़रीबी सहयोगी के संदिग्ध मनी लांड्रिंग गिरोह का पता चला. इस लीक के बाद से ही लोगों की दिलचस्पी इस पूरे मामले को टटोलने और पड़ताल करने में होने लगी.
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ताज्जुब कि बात है कि पूरी दुनिया के (खोजी) पत्रकार इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जाँच में जुटे हुए है, और भारत में मात्र चंद पत्रकारों और मीडिया एजेंसीज ने इस मुद्दे को उठाया है. ज्ञात हो कि अभी हाल ही में पनामा लीक कि वजह से पाकिस्तान के प्रधान मंत्री को स्तीफा देना पड़ा. पनामा लीक में तक़रीबन ५०० भारतियों के नाम भी है. पनामा लीक जैसे जरुरी मुद्दे को भारतीय मीडिया द्वारा गंभीरता से न उठाना, भारतीय मीडिया पर कई प्रश्न चिन्ह खड़े करती है.
साधारण शब्दों में ज्यादातर ये मामले धन के मालिकों की पहचान छिपाने, धन के स्रोत को छिपाने, काले धन को सफ़ेद बनाने और कर चोरी के हैं. कर चुराने की ऐसी श्रोतों का इस्तेमाल क़ानूनी तरीके से भी होता है.
मान लीजिये कि आप किसी देश के धनी व्यापारी हैं,और आपकी मंशा कर चोरी करना है, या आप अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्कर हैं, या फिर किसी क्रूर सत्ता के प्रमुख हैं, इन सभी के लिए कर बचाने या कर की चोरी करने का तरीका एकसमान है.
मोसाका फोंसेका कंपनी के लाखों दस्तावेज़ लीक होने के कारण ये पूरी जानकारी बाहर आई है. उस कंपनी का कहना है कि वो उन्हीं कंपनियां को रजिस्टर कराता है जो कर चुराने, मनी लांड्रिंग करने, आतंकवादी गतिविधियों के लिए पैसे देने या अन्य ग़ैरक़ानूनी कामों में शामिल न हों. कंपनी का ये भी कहना है कि वह इस बारे में अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकाल का पालन करती है.
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शेल कंपनी क्या होती है?
शेल कंपनियां वो हैं जिन्हें ऊपर से देखने से लगता है कि वो क़ानूनी तौर पर सामान्य व्यापार कर रही हैं. लेकिन वह केवल एक खाली खोल की तरह होती है. वह और कुछ नहीं करती है, केवल पैसे का प्रबंधन करती है. वह यह भी छिपाती है कि पैसा किसका है. इन कंपनियों के प्रबंधन में वकील, अकाउंटेंट और यहां तक की दफ्तर के सफाईकर्मी भी शामिल कर लिए जाते हैं. वह कागज़ात पर दस्तखत करने और लेटरहेड पर अपना नाम दर्ज करने की इजाज़त देने के अलावा कोई और काम नहीं करते हैं.
जब अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि आखिर इस पैसे का मालिक कौन है और कंपनी के पैसे पर नियंत्रण किसका है, तो उससे कहा जाता है कि यह काम प्रबंधन करता है. लेकिन यह सब कुछ दिखावा भर है.
कोई व्यक्ति उन्हें भुगतान करता है ताकि उसका पैसा अधिकारियों या कुछ मामलों में पूर्व पत्नियों से भी छिपा रहे. इस तरह की कंपनियों को 'लेटरबॉक्स' कंपनियां भी कहा जा सकता है, क्योंकि वो कंपनियां एक पते के अलावा और कुछ नहीं होती हैं.
अगर आपके पास एक शेल कंपनी है, तो इसके लिए यह जरूरी नहीं है कि वह लंदन या पेरिस में ही हो. वहाँ अधिकारी वास्तव में अगर चाहें तो आसानी से यह पता लगा सकते हैं कि उसका मालिक कौन है.
इसके लिए ज़रूरी है कि आपके पास ऑफशोर फ़ाइनेंसियल सेंटर हो, जिसे आमतौर पर कर चोरों की पनाहगाह कहा जाता है. आमतौर पर यह छोटे द्विपीय देशों में होते हैं. इनकी बैंकिंग गोपनीयता अच्छी होती है और लेनदेन पर लगने वाला कर बहुत कम होता है.
दुनिया में इस तरह के देश और अधिकारी बहुत अधिक हैं जो ब्रिटिश वर्जिन आइसलैंड से मकाऊ, बाहमाज़ और पनामा तक फैले हैं. इस तरह की जगहों पर होने वाली वित्तीय सेवाएं पूरी तरह से क़ानूनी हैं. इनकी गोपनीयता ही दुनिया भर के टैक्स चोरों और अपराधियों के लिए इन्हें आकर्षक बनाती हैं, ख़ासकर तब जह अधिकारी कमज़ोर हों या आंख मूंद लें.
इसमें बियरर शेयर या बाँड की अहमियत क्या है?
इस पूरे मामले में गुमनामी ही वो वजह है जिससे आप बड़े पैमाने पर पैसे का लेनदेन कर सकते हैं. बियरर शेयर और बॉन्ड इसके प्रत्यक्ष उत्तर हैं. पांच ब्रिटिश पाउंड के हर नोट पर लिखा होता है- ''मैं धारक को उसके मांगने पर पांच पाउंड का भुगतान करने का वादा करता हूं.''
इसका मतलब यह हुआ कि अगर यह आपकी जेब में है तो यह आपका है. जो व्यक्ति उसे लेकर चलता है, वह उसका मालिक होता है. वह इसे खर्च कर सकता है, उससे जैसे चाहे इस्तेमाल कर सकता है.
धारक शेयर और बॉन्ड भी इसी तरह से काम करते हैं. लेकिन उनका मूल्य पांच पाउंड जितना नहीं है. धारक बॉन्ड आमतौर पर 10 हज़ार पाउंड जैसे मूल्य में आते हैं. अगर आप बहुत बड़ी धनराशि को ले जाना चाहते हैं और परिस्थिति के अनुसार उस पर मालिकाना हक भी नहीं जताना चाहते हैं, तो यह बेहतरीन चीज़ है.
अगर आपके बॉन्ड पनामा के एक वकील के दफ्तर में हैं, तो यह कौन जान पाएगा कि यह आपका है या उसका ? इसीलिए अमरीकी सरकार ने 1982 में धारक बॉन्ड की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह अपराधियों के उपयोग के लिए बहुत आसान था.
कैसे होती है मनी लांड्रिंग?
मनी लांड्रिंग में काला धन यानी वो धन जिसे अवैध तरीके से कमाया गया हो या फिर जिसपर टैक्स न दिया गया हो, उसको सफेद बनाया जाता है. सफेद धन, यानी बैंक में रखा गया वैध पैसा जिसका इस्तेमाल आप बिना किसी संदेह के कर सकते हैं. अगर आप नशे के सौदागर है, धोखेबाज हैं या कहें कि एक भ्रष्ट राजनेता हैं तो आपके पास बहुत सा पैसा होगा. लेकिन आपके पास उसे खर्च करने का रास्ता नहीं होगा.
ऐसे पैसे की सफाई की ज़रूरत होती है. इस पैसे को आप ऑफशोर फाइनेंशियल सेंटर के संदिग्ध संस्था के पास भेजना होगा. वो इसे एक शेल कंपनी के धारक बॉन्ड में बदलने में मदद कर सकती है, जिसके बारे में कोई नहीं जानता है.
फिर आप इसका प्रयोग तख्तापटल करने में, लंदन या फ्रांस में कोई जगह खरीदने में, या फिर बच्चों के स्कूल की फीस भरने के लिए या अपनी आंटी को पेरिस में शापिंग कराने के लिए कर सकते हैं.
प्रतिबंध और इनसे पार पाना कैसे कैसे होता है?
दुनिया भर में कुख्यात लोगों की शक्तियों पर नियंत्रण लगाने और उन्हें दंड देने के लिए प्रतिबंध का इस्तेमाल होता है. इनमें सैन्य उपकरणों या हथियारों के आयात को सीमित कर देना, तेल और अन्य सामान के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना और निजी प्रतिबंध, तानाशाहों, उनके मित्रों, परिजनों और समर्थकों के बैंक खातों को बंद करना शामिल हैं
ब्रितानी सरकार ने कई देशों, उनके व्यापार, बैंक और बहुत से नामी-गिरामी लोगों पर हज़ारों तरह की पाबंदिया लगाई हैं. लेकिन जितना किसी सरकार या सत्तासीन लोगों पर प्रतिबंध लगता है, उतना ही ज़्यादा पैसा उन प्रतिबंधों के उल्लंघन से बनाया जाता है.
अत्याचारियों और हत्यारों के लिए गुप्त बैंक खाते खोलना, गृह युद्ध में शामिल एक पक्ष को या दोनों पक्षों को हथियार मुहैया कराना या परमाणु महात्वाकांक्षा वाली या अलग-थलग पड़ी सरकारों को पैसे देने में बड़ा मुनाफा होता है. दुनिया के बहुत से हिस्सों में रहस्यमयी बैंक खाते और शेल कंपनियां हैं, जहां अधिकारी आंखें मूंद लेते हैं. यह चीज़ें प्रतिबंधों को तोड़ने को फ़ायदेमंद और सुरक्षित बनाती हैं.
कर अधिकारियों से पैसे छुपाने से लोगों को रोकने के लिए यूरोपिय यूनियन ने यूरोपियन सेविंग्स डाइरेक्टिव (ईएसडी) की शुरुआत की. यूरोपियन यूनियन के देशों के बैंक ईयू के दूसरे देशों के नागरिकों के बैंक खातों पर लगने वाले कर को जमा करते हैं.
ईएसडी ने यूरोप में पैसे छिपाने को और कठिन बना दिया है. यह तथ्य बहुत मज़ेदार है कि जब ईएसडी को लागू करने पर चर्चा चल रही थी तो यूरोप से बाहर के देशों में बैंक खाते खोलने की इच्छा रखने वाले लोगों की संख्या अचानक बढ़ गई. इसलिए लोगों की रुचि पनामा और ब्रिटिश वर्जिन आइसलैंड में बढ़ गई.
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तथ्य साभार बीबीसी हिंदी से-
पनामा लीक जारी रहेगा, जुड़े रहें न्यूज मिरर के साथ और पनामा लीक, कालेधन से सम्बंधित अहम् खुलासे कि सच्चाई जाने.
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