कैंसर के इलाज के बाद महिलाओं में आमतौर पर होने वाले बांझपन से उन्हें सुरक्षित रखने के लिए वैज्ञानिकों ने एक दवा की खोज कर ली है।
जिन महिलाओं में कैंसर का इलाज रेडिएशन और कुछ तरह की कीमोथेरेपी दवाओं के जरिए किया जाता है वह दवाएं आमतौर पर उनमें बांझपन लाती हैं।
पूर्व में हुए शोध के मुताबिक, स्तन कैंसर से उबर चुकी सभी महिलाओं में से लगभग 40 प्रतिशत महिलाओं में समय से पहले अंडाशय को खराब होते हुए देखा गया। इसमें गर्भाशय की सामान्य क्रियाएं बंद हो जाती हैं और अक्सर बांझपन की स्थिति सामने आती है।
महिलाओं के पास जन्म से ही अंडाणुओं या अविकसित अंडाणुओं का संचय होता है जो जीवनभर चलता है। लेकिन यह अंडाणु शरीर की सबसे संवेदनशील कोशिकाओं में से एक होते हैं जो इस तरह के कैंसर उपचार से खत्म हो सकते हैं।
यह शोध जेनेटिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसका आधार पूर्व में किया गया एक शोध है जिसमें एक चेकप्वाइंट प्रोटीन (सीएचके2) का पता लगाया गया था जो रेडिएशन से अंडाणुओं के क्षतिग्रस्त होने पर सक्रिय हो जाते हैं।
सीएचके 2 उस मार्ग को नुकसान पहुंचाता है जो क्षतिग्रस्त डीएनए वाले अंडाणुओं को हटा देता है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो विकृत संतान को जन्म देने से बचाती है।
चिकित्सकों द्वारा अंडाणुओं को नुकसान पहुंचाने वाले इस तरह के कैंसर के इलाज को जरूरी समझा जाने पर महिलाएं अपने अंडाणुओं या गर्भाशय की कोशिकाओं को हटवा या फ्रीज करवा कर रख सकती हैं। लेकिन इससे इलाज में देरी हो सकती है।
इसके अलावा अंडाणुओं की कमी के कारण महिलाएं प्राकृतिक तौर पर रजोनिवृत्ति की तरफ बढ़ जाती है।
इस अध्ययन के जरिए वैज्ञानिकों ने सीएचके2 निरोधी या संबंधित दवाएं देना और कैंसर थेरेपी को साथ-साथ शुरू करने का एक नजरिए उपलब्ध कराया है। हालांकि इसे पहले मानव शरीर पर प्रयोग करने की जरूरत होगी।
जिन महिलाओं में कैंसर का इलाज रेडिएशन और कुछ तरह की कीमोथेरेपी दवाओं के जरिए किया जाता है वह दवाएं आमतौर पर उनमें बांझपन लाती हैं।
पूर्व में हुए शोध के मुताबिक, स्तन कैंसर से उबर चुकी सभी महिलाओं में से लगभग 40 प्रतिशत महिलाओं में समय से पहले अंडाशय को खराब होते हुए देखा गया। इसमें गर्भाशय की सामान्य क्रियाएं बंद हो जाती हैं और अक्सर बांझपन की स्थिति सामने आती है।
महिलाओं के पास जन्म से ही अंडाणुओं या अविकसित अंडाणुओं का संचय होता है जो जीवनभर चलता है। लेकिन यह अंडाणु शरीर की सबसे संवेदनशील कोशिकाओं में से एक होते हैं जो इस तरह के कैंसर उपचार से खत्म हो सकते हैं।
यह शोध जेनेटिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसका आधार पूर्व में किया गया एक शोध है जिसमें एक चेकप्वाइंट प्रोटीन (सीएचके2) का पता लगाया गया था जो रेडिएशन से अंडाणुओं के क्षतिग्रस्त होने पर सक्रिय हो जाते हैं।
सीएचके 2 उस मार्ग को नुकसान पहुंचाता है जो क्षतिग्रस्त डीएनए वाले अंडाणुओं को हटा देता है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो विकृत संतान को जन्म देने से बचाती है।
चिकित्सकों द्वारा अंडाणुओं को नुकसान पहुंचाने वाले इस तरह के कैंसर के इलाज को जरूरी समझा जाने पर महिलाएं अपने अंडाणुओं या गर्भाशय की कोशिकाओं को हटवा या फ्रीज करवा कर रख सकती हैं। लेकिन इससे इलाज में देरी हो सकती है।
इसके अलावा अंडाणुओं की कमी के कारण महिलाएं प्राकृतिक तौर पर रजोनिवृत्ति की तरफ बढ़ जाती है।
इस अध्ययन के जरिए वैज्ञानिकों ने सीएचके2 निरोधी या संबंधित दवाएं देना और कैंसर थेरेपी को साथ-साथ शुरू करने का एक नजरिए उपलब्ध कराया है। हालांकि इसे पहले मानव शरीर पर प्रयोग करने की जरूरत होगी।
0 comments:
Post a Comment