जालौन डीएम ने भी छात्रों की शिकायत का संज्ञान नहीं लिया,प्रधानाचार्य ने आईटीआई उरई को बनाया अपना निजी संस्थान
एडमीशन फीस में तीन सौ रुपये की जगह लिये जा रहे 15 सौ रुपये
प्रति सेमेटर फीस 325 रुपये की जगह वसूल किये जाते ढाई हजार
उरई (जालौन) राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) उरई के प्रधानाचार्य एमके सिंह नादिरशाही अंदाज में शासन कर रहे हैं। उनका मौखिक आदेश सभी के लिये बाध्यकारी है। आईटीआई में पत्रकारों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। वहां से उत्तीर्ण होकर निकलने वाले छात्रों का कहना है कि उन्हें मिस्त्रीगीरी का डिप्लोमा लेने में सवा लाख रुपये खर्च करने पड़े। जिलाधिकारी से प्रधानाचार्य द्वारा किये जाने वाले अत्याचार तथा की गयी लूट की शिकायत का भी सकारात्मक परिणाम नहीं निकला उल्टे शिकायती उदंडता के लिये छात्रों को 6-6 हजार रुपये का दण्ड भुगतना पड़ा। जिन शिकायतकर्ता छात्रों ने छह हजार रुपये नहीं दिये उन्हें फेल कर दिया गया।
मिली जानकारी के मुताबिक स्थानांतरण पर आने के साथ ही आईटीआई प्रधानाचार्य एमके सिंह ने अपनी नादिरशाही शुरू कर दी थी और उनकी शिकायत तत्कालीन छात्रों ने जिलाधिकारी रामगणेश, जिलाधिकारी संदीप कौर से की थी। किंतु उक्त दोनों जिलाधिकारियों ने छात्रों के द्वारा की गयी शिकायत का कोई संज्ञान नहीं लिया और शिकायती पत्र प्रधानाचार्य के पास पहुंचा दिये गये। जिस पर प्रधानाचार्य ने शिकायत करने वाले छात्रों से 6-6 हजार रुपये क्षमादान में लिये। बताया गया है कि वर्तमान जिलाधिकारी नरेन्द्र शंकर पांडेय को छात्रों ने बगैर नाम के शिकायती पत्र दिया और प्रधानाचार्य द्वारा प्रतिछात्र हजारों रुपये की की जा रही लूट से निजात दिलाने की अपेक्षा की। किंतु वर्तमान डीएम ने भी शायद कोई संज्ञान नहीं लिया है अथवा उन तक शिकायती पत्र पहुंचने नहीं दिया गया है। क्योंकि प्रधानाचार्य एमके सिंह की नादिरशाही जारी बनी हुयी है और वह प्रवेश शुल्क क्रमशः 15 सौ रुपये व 12 सौ रुपये वसूल रहे हैं और कोई रसीद भी छात्रों को नहीं दी जा रही है। यही नहीं हाल ही में प्रधानाचार्य ने प्रति छात्र सौ रुपये लेकर उनसे पौधरोपण कराया और रोपित की गयी पौधों को बखरवाकर उसी जमीन पर अरहर की फसल की बुबाई करा दी। उन्होंने छात्रों को निजी यात्री बसों से आईटीआई उरई से आने जाने देने के लिये बस के पास प्रिंटिट पास उपलब्ध करा दिये हैं और प्रति छात्र 120 रुपये की वसूली की जा रही है। जो छात्र अपने संसाधनों से आईटीआई आते तथा वहां से जाते हैं उन्हें भी यह बस पास लेना अनिवार्य बनाया गया है।
आईटीआई के छात्रों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा है कि क्या आईटीआई के प्रधानाचार्य छात्रों से लाखों रुपये की अवैध वसूली डीएम के माध्यम से आप तक पहुंचाने के लिये कर रहे हैं। यदि ऐसा नहीं है तो फिर छात्रों द्वारा की गयी खुली शिकायतों का संज्ञान क्यों नहीं लिया जा रहा है। आईटीआई प्रधानाचार्य के कतिपय पत्रकारों को डीएम के नाम की धमकी किसकी दम पर दी है। किसके निर्देश पर प्रधानाचार्य ने आईटीआई परिसर में खड़े दर्जनों यूकेलिप्टस के हरे पेड़ों को कटवाकर बेंच डाले हैं। उक्त रुपया क्या आईटीआई के खाते में जमा कराया गया या नहीं ऐसे अनगिनत प्रश्न ऐसे हैं जिनका शायद ही प्रधानाचार्य के पास कोई जबाब हो। फिलहाल तो आईटीआई प्रधानाचार्य एमके सिंह की धनवसूली नीति से छात्रों में आक्रोश गहराने लगा जो किसी भी समय ज्वालामुखी बनकर फूट सकता है और उनकी करतूतों का भंडाफोड़ आला अधिकारियों के सामने खुलकर सामने आ जायेगा।
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