सुरेश पटेल ( सारंग ) राज्यसभा से अपनी विदाई पर अंतिम भाषण देते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपरोक्ष रूप से केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा बेहद जरूरी है। एक दिन पहले ही राज्यसभा टीवी को दिए एक इंटरव्यू में भी हामिद अंसारी ने इस मुद्दे को उठाया था। वरिष्ठ पत्रकार करन थापर के साथ बात करते हुए अंसारी ने कहा कि  देश के मुसलमानों में बेचैनी की भावना औैर असुरक्षा का बोध है। उन्होंने कहा कि देश में ‘स्वीकार्यता का माहौल’ खतरे में है। अंसारी ने यहां तक कहा कि उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और मंत्रिमंडल के उनके सहयोगियों के सामने भी असहिष्णुता के मुद्दे को उठाया था। उन्होंने कहा कि नागरिकों की भारतीयता पर सवाल किया जाना एक परेशानी पैदा करने वाली सोच है। उन्होंने इंटरव्यू में पीट-पीट कर की जाने वाली हत्याओं, घर वापसी जैसे मामलों और तर्कवादियों की हत्याओं को भारतीय मूल्यों के खात्मे जैसा करार दिया। सरकारों पर निशाना साधते हुए अंसारी ने कहा, ये मामले ऐसे थे जिनसे लग रहा था कि अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग जगहों पर सामान्य कानून को लागू करने में शासन असमर्थ है। दो दिन में दो बार सरकार पर अपरोक्ष हमले करते हुए अंसारी ने एक तरह से अपना विरोध तो प्रकट किया ही सरकार पर भी सवाल खड़ा कर दिया। ऐसा पहली बार नहीं है जब अंसारी खुलकर मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करते दिखे, बल्कि इससे पहले भी वह कई बार अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। आइए डालते हैं उनके पूर्व बयानों पर एक निगाह।


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