असम विधान सभा ने एक अनूठा और नया बिल पास किया है, जिसके मुताबिक अगर किसी सरकारी कर्मचारी ने अपने बुजुर्ग मां-बाप या विकलांग भाई-बहन (सहोदर) की देख-रेख नहीं की तो उसकी सैलरी से 10 से 15 फीसदी की कटौती कर ली जाएगी और रकम पीड़ितों के खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी।
‘प्रणाम’ (पैरेन्ट्स रेस्पॉन्सिबिलिटी एंड नॉर्म्स फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड मॉनिटरिंग) नाम का यह बिल शुक्रवार (15 सितंबर) को असम विधानसभा में पास कर दिया गया है। बिल में कहा गया है कि वंचित माता-पिता को लिखित रूप से इसकी शिकायत सरकार द्वारा नियुक्त अथॉरिटी से करनी होगी। अथॉरिटी 90 दिन के अंदर उस शिकायत की छानबीन करेगी और मामले का निपटारा करेगी।
विधान सभा में असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि “इस कानून को बनाने का उद्देश्य यह है कि कोई भी बुजुर्ग माता-पिता अपने जीवन के अंतिम दिन एकाकीपन में किसी वृद्धाश्रम में ना गुजार दें बल्कि वो इन लम्हों को अपने बच्चों के साथ गुजार सकें।”
शर्मा ने आगे कहा कि यह देश का अनूठा कानून है। इससे पहले किसी और राज्य ने इस तरह का कानून अब तक नहीं बनाया है। उन्होंने बताया कि सरकार जल्द ही इसके बाद इसी तरह का कानून पब्लिक सेक्टर यूनिट और प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों के लिए भी बनाएगी। विधान सभा अध्यक्ष हितेन्द्र नाथ गोस्वामी ने इस बिल को प्रगतिवादी करार दिया है
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