नयी दिल्ली :भाषा : हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार और दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज के पूर्व आचार्य अजितकुमार का आज निधन हो गया। वे 86 वर्ष के थे।

पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि आज सुबह दिल्ली के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वह कुछ समय से गुर्दे और सांस की समस्याओं से बीमार चल रहे थे और गत छह जुलाई को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

उनके परिवार में कवयित्री पत्नी स्नेहमयी चौधरी तथा पुत्र पवन चौधरी हैं। उनके पुत्र ने बताया कि अजितकुमार की इच्छानुसार देहदान किया जाएगा। कल 19 जुलाई को उनका पार्थिव शरीर एम्स को सौंप दिया जाएगा।

नौ जून, 1933 को लखनऊ में जन्में अजित का पूरा नाम अजितकुमार चौधरी था। वह 60 के दशक में दिल्ली विश्ववद्यालयय के किरोड़ीमल कालेज में अध्यापक होकर आए थे। इससे पहले कवि हरिवंशराय बच्चन के साथ विदेश मंत्रालय में कुछ कार्यरत रहे। अजित जी ने कविता, कहानी, उपन्यास, यात्रा संस्मरण, संस्मरण , डायरी, अंकन आदि लगभग सभी विधाओं में लिखा। 1958 में उनका पहला कविता संग्रह ‘अकेले कंठ की पुकार’ आया। उसके बाद ‘अंकित होने दो’(1962), ‘ये फूल नहीं’ (1970) ‘घरौंदा’ (1987), ‘हिरनी के लिए’ (1993) ‘घोंघे’(1996) और 2001 में ‘ऊसर’ नाम से कविता संग्रह आया। बच्चन रचनावली के यशस्वी सम्पादक तथा दूरदर्शन के साहित्यिक कार्यक्रम 'पत्रिका' के संचालक के रूप में भी खूब जाना जाता है।

प्रसिद्ध आलोचक डॉ विश्वनाथ त्रिपाठी ने उन्हें याद करते हुए कहा कि वे बेहद शरीफ, सुसंस्कृत और संकोची व्यक्ति थे जिन्हें अपने साहित्यधर्मी परिवार से महादेवी, पंत,बच्चन और निराला जैसे लेखकों के संस्कार मिले। डॉ त्रिपाठी ने कहा कि कवि और गद्य लेखक के रूप में अजितकुमार के उल्लेख के बिना उस दौर का हिंदी साहित्य का इतिहास नहीं लिखा जा सकता। दिल्ली विश्वविद्यालय की हिंदी विभाग की पूर्व अध्यक्ष और प्रसिद्ध लेखिका डॉ निर्मला जैन ने कहा,‘‘ मैंने अपने परिवार का एक महत्त्वपूर्ण सदस्य खो दिया।’’ उनके निकट रहे बनास जन पत्रिका के सम्पादक एवं युवा आलोचक पल्लव ने बताया, ‘‘अजितजी को हिंदी जगत वैष्णव उदारता के लिए याद करता है।’’

0 comments:

Post a Comment

 
न्यूज मिरर © 2017. All Rights Reserved. Powered by santosh PYASA
Top