सांकेतिक छवि
मिसरौली माफी के किसान सीता राम मिश्र ने बताया कि उरद, अरहर व तिल्ली के खेतों में घुसेआवारा पशुओं को जब भगाने की कोशिश की तो उन्हें खुद जान बचाकर भागना पड़ा. करौन्दी के सतीश चन्द्र, हरि शन्कर,राम लाल, भगेलू, राम राज व तिलक राम हथकिला गाँव के जग नरायण तिवारी, राम आसरे को वोट पप्पू विश्वकर्मा ने बताया कि आवारा पशुओं से खेतों की रखवाली करने के लिये बारी बारी से एक- दो आदमी बराबर खेतों के किनारे डटे रह रहे हैं. फिर भी मौका मिलते ही जानवरों का झुंड खेतों में घुस ही जाता है. शाम को सड़क के बीचोबीच झुंड में बैठकर भी दुर्घटना को देते रहते हैं. कमोबेस यही हाल हर गाँव में व शाम को सड़को पर देखा जा रहा है. शाम को और रात में गाँव में व सड़क पर निकलने में आमजन भयभीत हो रहे हैं. दिनों दिन आवारा पशुओं की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है.
बीच सड़क पशु खड़े होकर सबका रास्ता रोक देते हैं। सड़क पर ही यह पशु रात और दिन दोनों समय बैठे रहते हैं। गांवों में आवारा पशु किसानों की फसल को चट कर रहे हैं।
जिले में सरकारी गौशाला नहीं हैं। निजी गौशाला में ही कुछ जानवर दिखते हैं। वह भी दूधारू ही हैं। बैल और सांड़ पालने से गौशाला संचालक भी कतराते हैं। वैसे आवारा पशु तो पहले भी थे लेकिन इधर तीन माह के बीच में इनकी संख्या अधिक बढ़ी है। धर्मिक भावना को देखते हुए ग्रामीण इनके प्रतिजादा कुछ सख्त नहीं हो पा रहे हैं। इसी कारण से अब बीच सड़क पर आवारा पशुओं का झुंड ही दिखता है। किसानों ने प्रशासन से आवारा पशुओं से मुक्ति दिलाने की मांग की है.
आवारा पशुओं से खेती हो रही तबाह, कैसे मिले मुक्ति
अशोक श्रीवास्तव
अमेठी - किसानों की अच्छी फ़सल पर पानी फ़ेरने में आवारा पशुओं ने कोई कसर नहीं छोड़ रखी है. हर गाँव में 8 से 10 की संख्या में आवारा पशुओं का झुंड बारी बारी हर खेतों में घुस कर फ़सल को नुकसान पहुंचा रहे हैं. किसान उन्हें भगाने की कोशिश करते हैं तो उल्टे जानवर उन्हें दौड़ाकर मारने की कोशिश करते हैं.
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