नयी दिल्ली, (भाषा) बवाना विधानसभा सीट पर उप चुनाव के लिए डाले गए मतों की गणना आज सुबह शुरू हो गई।
कहा जा रहा है कि इस सीट का परिणाम शहर के राजनीतिक समीकरण पर असर डालेगा।
बवाना विधानसभा सीट के लिए उप चुनाव 23 अगस्त को हुआ था और यहां केवल 45 फीसदी मतदान ही हुआ।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मतगणना सुबह आठ बजे शुरू हुई।
इस सीट पर, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है और तीनों को ही अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित इस सीट पर विजय पताका फहराने का भरोसा है।
इस सीट पर पहली बार वीवीपीएटी (वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का उपयोग मतदान के लिए किया गया।
चुनाव मैदान में आठ प्रत्याशी हैं लेकिन मुख्य मुकाबला आप, भाजपा और कांग्रेस के बीच है।
मतदाताओं की संख्या के लिहाज से दिल्ली की सबसे बड़ी विधानसभा सीट बवाना में 23 अगस्त को जब मतदान हुआ तो मात्र 45 फीसदी मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का उपयोग किया। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां 61.83 फीसदी मतदान हुआ था।
70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में आप के विधायकों की संख्या 65 और भाजपा के विधायकों की संख्या 4 है। कांग्रेस को उम्मीद है कि यह सीट जीत कर वह विधानसभा में अपना खाता खोलेगी।
इस साल के शुरू में हुए राजौरी गार्डन उपचुनाव में भाजपा ने आप से सीट छीन ली थी और कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी।
बवाना सीट पर भाजपा ने वेद प्रकाश को टिकट दिया जिन्होंने वर्ष 2015 में यह सीट आप के टिकट पर जीती थी। इस साल मार्च में उन्होंने विधानसभा की सदस्यता तथा आप से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए जिसकी वजह से बवाना सीट पर उप चुनाव कराया गया।
आप के प्रत्याशी राम चंद्र हैं जबकि कांग्रेस ने बवाना से तीन बार विधायक रह चुके सुरेन्द्र कुमार को उम्मीदवार बनाया।
बवाना सीट पर कुल मतदाता 2.94 लाख हैं जिनमें से 1,64,114 पुरूष और 1,30,143 महिला मतदाता हैं। तीसरे लिंग के मतदाताओं की संख्या 25 है। इस विधानसभा सीट के तहत आने वाले 379 मतदान केंद्रों में मतदान शांतिपूर्वक हुआ था।
अधिकारियों के अनुसार, मतदान के दौरान एक ईवीएम और 17 वीवीपीएटी मशीनों में गड़बड़ी आई और उन्हें तत्काल बदल दिया गया।
कहा जा रहा है कि इस सीट का परिणाम शहर के राजनीतिक समीकरण पर असर डालेगा।
बवाना विधानसभा सीट के लिए उप चुनाव 23 अगस्त को हुआ था और यहां केवल 45 फीसदी मतदान ही हुआ।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मतगणना सुबह आठ बजे शुरू हुई।
इस सीट पर, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है और तीनों को ही अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित इस सीट पर विजय पताका फहराने का भरोसा है।
इस सीट पर पहली बार वीवीपीएटी (वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का उपयोग मतदान के लिए किया गया।
चुनाव मैदान में आठ प्रत्याशी हैं लेकिन मुख्य मुकाबला आप, भाजपा और कांग्रेस के बीच है।
मतदाताओं की संख्या के लिहाज से दिल्ली की सबसे बड़ी विधानसभा सीट बवाना में 23 अगस्त को जब मतदान हुआ तो मात्र 45 फीसदी मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का उपयोग किया। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां 61.83 फीसदी मतदान हुआ था।
70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में आप के विधायकों की संख्या 65 और भाजपा के विधायकों की संख्या 4 है। कांग्रेस को उम्मीद है कि यह सीट जीत कर वह विधानसभा में अपना खाता खोलेगी।
इस साल के शुरू में हुए राजौरी गार्डन उपचुनाव में भाजपा ने आप से सीट छीन ली थी और कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी।
बवाना सीट पर भाजपा ने वेद प्रकाश को टिकट दिया जिन्होंने वर्ष 2015 में यह सीट आप के टिकट पर जीती थी। इस साल मार्च में उन्होंने विधानसभा की सदस्यता तथा आप से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए जिसकी वजह से बवाना सीट पर उप चुनाव कराया गया।
आप के प्रत्याशी राम चंद्र हैं जबकि कांग्रेस ने बवाना से तीन बार विधायक रह चुके सुरेन्द्र कुमार को उम्मीदवार बनाया।
बवाना सीट पर कुल मतदाता 2.94 लाख हैं जिनमें से 1,64,114 पुरूष और 1,30,143 महिला मतदाता हैं। तीसरे लिंग के मतदाताओं की संख्या 25 है। इस विधानसभा सीट के तहत आने वाले 379 मतदान केंद्रों में मतदान शांतिपूर्वक हुआ था।
अधिकारियों के अनुसार, मतदान के दौरान एक ईवीएम और 17 वीवीपीएटी मशीनों में गड़बड़ी आई और उन्हें तत्काल बदल दिया गया।
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