रितुराज राजावत
*- सत्य और ज्ञान के ठेकेदारों पर सिद्ध होते रहें है गम्भीर आरोप आसाराम से लगाकर राम रहीम तक है जेल की सलाखों के पीछे*
*- नित्यानन्द और राधे मां की लीला रही है अपरमपार मोबाइल में आज भी देखे जातें हैं लीलाओं भरे एमएमएस*
*- आस्था के नाम पर अनगिनत आस्थाओं को बनाया जा चुका है हवस का शिकार दिन ब दिन सामने आ रहें हैं नए नए मामले*
*- बड़े बड़े नेताओं और रसूखदारों का है इन ढोंगियों से याराना जेड सुरक्षा से लगाकर शानोशौकत भरी जिंदगी का भोगा जाता है भोग*
*- रामायण और गीता का अधिकांश व्यक्ति नही करना चाहतें हैं अध्यन कोई गोलगप्पे खिला कर बरसाता है कृपा तो कोई कहता है करने से ही होगा*
, आशाराम और उनके एक मात्र कपूत तो पहले से ही यौन शोषण के मामले में जेल के अंदर जुम्मा चुम्मा एक साथ सुर मे सुर मिलाकर गा रहे थे । ठीक इसी क्रम में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम भी मजीरा लेकर आसाराम एन्ड कम्पनी के तत्त्वाधान में अपना रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करने रोते गाते हुए जेल में प्रवेश कर चुके हैं । हालांकि ये बात और है कि राम रहीम द्वारा स्वकच्छ भारत अभियान के तहत सड़क पर खूब झाडूबाजी की और कराई गई । 2012 के केस का निर्णय 2017 में आया और उसी स्वकच्छ भारत अभियान के तहत बाबा जी को जेल के अंदर प्रवेश करना का शुभ अवसर कोर्ट द्वारा प्रदान किया गया ।
आजकल बाबाओं का बोलबाला काफी हद तक देश की जनता के बीच प्रचार प्रसार के चलते फैल चुका है । सुबह से लेकर देर शाम तक मार्केटिंग गुरुओं द्वारा अपने अपने प्रोडक्टों को जनता के समक्ष टीवी पर प्रस्तुत किया जाने वाला प्रचलन अब चरम पर है । खबरें दिखाने वाले न्यूज चैनल भी इस दौड़ में पीछे नही दिख रहें है बजरंग बली से लेकर श्रीयंत्र तक विशेष बाबाओं की मोनोपॉली बन चुके है । गले में टांगो और लाभ लो जैसी मानसिक धारणा का जन्म हो चुका है । कोई बेच कर लाभ उठा रहा है तो कोई गले में टांगकर लाभ लेने की फिराक में है । हाल फिलहाल हरियाणा चुनाव में डील जैसे शब्द का मंत्रोउच्चारन करने वाली बाबा की बेटी ने बवाल मचा रक्खा है । वहीं पार्टी विशेष के कुछ खास भक्तों की राय में बाबा के साथ अन्याय जैसे सहानभूति से भरे हुए वाक्यो का आदान प्रदान भी सुर्खियों में हैं । बेसबुक सहित सोसल मीडिया में जेल जाने वाले बाबाओ की लिस्ट तैयार हो चुकी है किसी को वेटिंग तो किसी की कन्फर्म की श्रेणी में रक्खा गया है । एमएमएस का दौर एक बार फिर से लौट आया है बहुमुखी प्रतिभाओं से युक्त मोबाइल फोनों में बाबाओ से जुड़े एमएमएस खूब भेजे और रिसीव किये जा रहें हैं । युवा वर्ग जहां ऐसे चलचित्रों को जिज्ञाशा की दृष्टि से देख रहा है वहीं भक्तों द्वारा इन एमएमएस को देखने के बाद थू थू की जा रही है । अपने माता पिता का तिरस्कार करने वालो का हूजूम ढोंगियों के बताए गए रास्ते पर चलते हुए गोलगप्पे खाये जा रहा है । और बाबा जी निर्मलता के साथ पाखण्ड का दरबार लगाकर अपनी ख्याति अर्जित किये जाने वाला एक सूत्रीय कार्यक्रम चलाने में मस्त हैं । गीता और पुराण का अध्यन करने वालों में खासी गिरावट आ चुकी है वहीं बाबाओ की फैन फ़ॉलोअर्स का ग्राफ आज सातवे आसमान पर अपना विजय पताका फहरा रहा है । इन धर्म गुरुओं के प्रति लोग बागों की अलग अलग राय बन चुकी है । कोई इन्हें सही तो कोई इन बाबाओ को हवस का पुजारी ठहरा रहा है । संसार सागर से दूर रहने वाले वास्तविक आस्था के पुजारी अब गर्त के अंधेरों में पूर्णरूप से खो चुके हैं । वहीं आस्था के बलात्कारियों को अब सत्य शिरोमणी का दर्जा दिया जाने लगा है । भगवा भगवान पर भारी पड़ चुका है फिल्मी गीतों की धुन में नाचने वालों को अब ज्ञानी की श्रेणी में रखना गलत नही माना जाना चाहिए । जेड प्लस सुरक्षा प्रणाली का पूर्ण लाभ लेना कलयुगी बाबाओ की आवश्यकता बन चुकी है । हालांकि इनकी जान को किससे खतरा है । इस बात का ज्ञान खुद उनको नही है जो जनता के मध्य ज्ञान का सागर बहाते घूमते हैं । नपुंसकता को अब आत्म सुरक्षा का सबसे बड़ा हथियार माना जाने लगा है । बलात्कार और शोषण में महारत हासिल करने वालों का पहला बयान मैं नपुंसक हूँ आजकल प्रचलन मे आ चुका है । सरकार द्वारा जीएसटी का निर्धारण किया जा चुका है ये अलग बात है कि इनको दी जाने वाली सजा में उस टैक्स जोड़ा जाएगा कि नही । बुद्धिजीवियों की अपनी एक अलग राय है लोगो का मानना है कि ऐसे धूर्तों को जीएसटी से वंचित रखना चाहिए पर साथ ही साथ इनके दोनों जीएसटी सुझा देने चाहिए । इससे दो फायदे होंगे एक तो टैक्स का भरपूर प्रचार प्रसार मुफ्त में ही हो जाएगा साथ ही साथ बलात्कार और शोषण करने वालों के मध्य इस टैक्स को लेकर डर भी बना रहेगा । परन्तु अभी हाल फिलहाल तो जनता ढोंगियों को सर पर चढ़ाए बैठी है और ढोंगी धर्म की आड़ में आस्था का बलात्कार करने में व्यस्त हैं
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