बुंदेलखंड (हमीरपुर) जहां एक ओर सुप्रीम कोर्ट और योगी सरकार अवैध खनन रोकने के लिए प्रयासरत हैं वहीं हमीरपुर की पुलिस बालू माफियाओ से साठगांठ कर शाशन प्रसासन को ठेंगा दिखा रहे हैं।
ज्ञात हो कि गत रात्रि (03-06-2017) को पत्रकार मुन्ना विश्वकर्मा, संतोष प्यासा व नवी अहमद को गुप्त सूत्रों द्वारा ज्ञात हुआ कि भुलसी व बकछा खदान से पुलिस की सांठगांठ से बालू का अवैध खनन कर रातो रात ट्रक निकलवाने की तैयार हो चुकी है। जानकारी प्राप्त होने के बाद पत्रकार भुलसी खदान की ओर रवाना हुए जहां ग्राम टोलामाफ के पुल पर डायल 100 की गाड़ी संख्या 1230 खड़ी थी। पत्रकारों ने जब डायल 100 के पुलिस कर्मियों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि ये ट्रक छतरपुर से आ रहे है। जब पत्रकारों ने ट्रकों की वीडियो ग्राफी करनी शुरू की तो अचानक से डायल 100 के पुलिस कर्मी आक्रामक हो गए और पत्रकारों से गाली गलौज करते हुए हैंडी कैम छीन लिया।
पत्रकारों ने पुलिस के इस हरकत का विरोध किया तो पुलिस कर्मी हाथापाई पर आमादा हो गए। जब पत्रकारों ने डायल 100 (1230) से कहा कि इस बात की शिकायत हम अभी एस पी से करेंगे तो पुलिस कर्मियों ने कहा कि एस पी कौन होता है, अगर जान की सलामती चाहतो हो तो यहां से भाग जाओ।
घटना स्थल से थोड़ी दूर जाकर पत्रकारों ने एसपी को फ़ोन द्वारा जानकारी दी तो एस पी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि आप निश्चिंत रहें , मैं अभी इंस्पेक्टर को भेजता हूँ। लेकिन काफी देर प्रतीक्षा करने के बाद भी जब कोई इंस्पेक्टर नही आया तो पत्रकारों ने 100 डायल कर सहायता मांगनी चाही लेकिन लगातार तीन घंटे प्रयास करने के बाद भी 100 नंबर से संपर्क नही हो सका। इस बाबत जब पत्रकारों ने सुमेरपुर एसओ से बात की तो उन्होंने भी अस्वासन दिया कि अतिशीघ्र ही आपकी सहायता के लिए पुलिस बल भेजा जा रहा है। लेकिन घंटों इन्तेजार करने के बाद भी कोई भी पुलिस कर्मी सहायतार्थ नही आया। जब पत्रकार सिसोलर पहुंचे तो वहां एक ग्रामवासी मिला। ग्रामवासी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए बताया कि यहां रोज रात को कई ट्रक भुलसी व बकछा से बालू लोड करके निकलते है। जिनको सिसोलर एसओ का संरक्षण प्राप्त है। सिसोलर पुलिस इन ट्रकों से 2-10 हजार रुपये तक वसूलती है।
उपरोक्त घटना कई सवाल खड़े करती है।
*अगर बालू के ट्रक वाकई में छतरपुर से ही लोड होकर आ रहे थे तो, डायल 100 (1230) के पुलिस कर्मियों ने वीडियो ग्राफी का विरोध क्यों किया*
*आखिर क्यों पत्रकारों के साथ गाली गलौज व हाथापाई की गई*
*आखिर क्यों पत्रकारों का हैंडीकैम छीन लिया गया*
*आखिर क्यों आश्वासन के बाद भी कोई पुलिस कर्मी मदद के लिए नही आया* पुलिस के द्वारा जब कोई भी सहायता प्राप्त नही हो पाई तो पत्रकार भरुआ सुमेरपुर वापस आएं। बस स्टैंड पर सुमेरपुर डायल 100 की कोबरा टीम मिली। जब पत्रकारों ने कोबरा टीम को प्रकरण की जानकारी दी तो कोबरा ने सराहनीय कार्य करते हुए पत्रकारों की सहायता की । कोबरा ने सुमेरपुर बस स्टैंड पर बालू से भरे कई ट्रक रुकवाए। जब ट्रक ड्राईवारों से पूंछा गया कि ये बालू कहाँ से लाये हो तो उन्होंने बताया कि छतरपुर से । जब खदान का नाम पूंछा गया तो ड्राइवरों के पास कोई जवाब नही था।
कोबरा टीम की मदद से ट्रकों की रॉयलिटी की फ़ोटो ली गयी। और जब बाद में बारीकी से इन रॉयल्टी/बिल्टी की छानबीन की गई तो पता चला कि सिर्फ एक ही रॉयल्टी/बिल्टी पर चार -चार ट्रक निकाले जा रहें है।
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